Tuesday 18 October 2016

आज करावा चौथं भारतीय संस्कृती कि अनमोल धरोहर






आज भी भारत वर्ष में ये व्रत किया जाता है । पती पत्नी के सम्बद्ध में इसका महत्व है ।
भरत कि प्राचीन संस्कृती में त्योहारो कि रचना कि है उसीमें  ये ध्यान रखा गया है कि कुटुंब में जो परस्पर सबंध है उनको प्रेम ओर आपसी विश्वास से बांधा जाय ओर उसीसे ये कुटुंब व्यवस्था सशक्त ओर आत्मनिर्भर रहे । 
पती पत्नी का आपसी विश्वास ही इस व्रत का आधार है जो आज हमें उध्वस्त होता देख रहे है । आज यादी कोर्ट में डायव्होर्स के मामलोंकी संख्या देखने  पर इसका अंदाज हमे तुरंत आता है ।

दुर्भाग्यवश शिक्षित समाज में इसका औसत जादा देखने  को मिलता है 
समाज शिक्षित होने पर समाज कि दिशा  सकारात्मक ओर सुसंस्कृत होने के बजाय ओ यदी असंस्कृत ओर असभ्य होती दिखती है तो हमे आज की  शिक्षा पद्धती का पुनरावलोकन करना चाहिये ।

दुर्भाग्य यही है हमारी स्वतः की शिक्षा पद्धती जो बडे विचार पूर्वक हमारे पूर्वंजो ने खडी कि थी उसका हमने त्याग करके विदेशो में केवल भोग का विचार कर बनाई गयी शिक्षण पद्धती का हमने स्विकार किया है । आज भारतवर्ष में जितनी भी कठीणाईया है उसमे जादातर का कारण ये शिक्षा पद्धती है ।
इसका पुनर्वलोकन जरुरी है इस करावा चोथ  केकारन  आप में भारतीय संस्कृती के बरे में जिज्ञासा उत्पन्न हो यही कामना करते है ।


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